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"कर्म योग’ स्वामी विवेकानंद के व्याख्यान पर आधारित एक पुस्तक है, जिसे जोसेफ जोसिया गुडविन ने लिखा है और यह फरवरी 1896 में न्यूयॉर्क शहर में प्रकाशित की गई थी। स्वामी विवेकानंद ने दिसंबर 1895 से जनवरी 1896 तक न्यूयॉर्क शहर में 228 डब्ल्यू 39 स्ट्रीट पर अपने किराए के कमरे में कई व्याख्यान दिए थे। स्वामी विवेकानंद ने ‘कर्म योग’ को एक मानसिक अनुशासन के रूप में वर्णित किया गया है, उन्होंने मानसिक अनुशासन - जो एक व्यक्ति को ज्ञान के मार्ग के रूप में, पूरी दुनिया के लिए एक सेवा के रूप में अपने कर्तव्यों को समझने और उसको पूरा करने की अनुमति प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में यह किताब आपको कर्म का हमारे चरित्र पर क्या और कैसे प्रभाव पड़ता है, उससे अवगत करवाती है।"